नई दिल्ली : पहली बार किसान आंदोलन के दौरान संयुक्त मोर्चा की बैठक में किसानों में फूट नजर आई। दरअसल, रविवार को मीटिंग में हरियाणा भाकियू के अध्यक्ष गुरनाम चंढूनी पर आंदोलन को राजनीति का अड्डा बनाने, कांग्रेस समेत राज नेताओं को बुलाने और दिल्ली में सक्रिय हरियाणा के एक कांग्रेस नेता से आंदोलन के नाम पर करीब 10 करोड़ रुपए लेने के गंभीर आरोप लगे। आरोप था कि वह कांग्रेसी टिकट के बदले हरियाणा सरकार को गिराने की डील भी कर रहे हैं।

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किसान नेता कक्का खुद RSS के एजेंट
चंढू़नी ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने सोमवार को कहा, “जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे संयुक्त मोर्चा के नहीं हो सकते, बल्कि किसी व्यक्ति विशेष के होंगे। ये शिवकुमार सिंह कक्का जी के आरोप हैं। कक्का खुद RSS के एजेंट हैं। वे लंबे समय तक RSS के राष्ट्रीय किसान संघ के प्रमुख रहे थे। वे फूट डालकर राज करने की कोशिश कर रहे हैं।”
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संयुक्त मोर्चा ने कहा- कमेटी 3 दिन में रिपोर्ट देगी
सयुंक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को कहा कि चंढूनी की तरफ से बुलाई गई राजनीतिक दलों की बैठक से मोर्चे का कोई लेना-देना नहीं। राजनीतिक दलों के साथ चंढूनी की गतिविधियों पर ध्यान देने के बाद रविवार को मोर्चे की मीटिंग में एक कमेटी बनाई गई जो 3 दिनों में रिपोर्ट देगी।

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आंदोलन से जुड़े लोग NIA के सामने पेश नहीं होंगे
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) आंदोलन में टेरर फंडिंग की जांच कर रही है। आंदोलन से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों को समन भेजे गए हैं। इससे खफा किसान संगठनों ने कहा कि उनसे जुड़ा कोई नेता या कार्यकर्ता NIA के सामने पेश नहीं होगा।

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किसान आंदोलन की बात नहीं तो कमेटी का हक नहीं
कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी से इस्तीफा दे चुके भूपिंदर सिंह मान ने जिस तरह कमेटी छोड़ी, उनके इस्तीफे को लेकर धमकियां मिलने समेत कई कयास लगाए जाने लगे।