नई दिल्ली : किसानों के नाम पर शुरू हुए इस हठ ने हरियाणा की इंडस्ट्री को बर्बादी की राह पर खड़ा कर दिया है। सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला टेक्सटाइल सेक्टर आंसू बहा रहा है। देश में डर के माहौल के कारण व्यापारी पानीपत नहीं आए। ट्रांसपोर्टरों ने सप्लाई नहीं की। कंबल की फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। बहादुरगढ़ की फुटवियर इंडस्ट्री पर ताला लग रहा है। सोनीपत से हजारों कामगार पलायन कर गए हैं।

खेतो में ही तबाह करनी पड़ यही फसल
इंडस्ट्री ही क्यों, जिन किसानों के नाम पर आंदोलन हो रहा है, उन किसानों का भी तो भला नहीं हो रहा। उन्हें अपनी सब्जी की फसल खेत में ही तबाह करनी पड़ रही है। क्योंकि इसे बेच नहीं पा रहे। कहानियां हजारों हैं…प्रभावित हजारों हैं, पर आंदोलनकारियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा। कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर सौ दिन से चल रहे आंदोलन के कारण हालात क्या से क्या हो गए।
व्यापारी नहीं आ रहे पानीपत
चीन के पोलर कंबल को मात देकर पानीपत ने आयात पूरी तरह से खत्म कर दिया था। पर इस किसान आंदोलन ने उन्हीं उधमियों की कमर तोड़ दी है। जो फैक्ट्रियां मार्च तक पूरे उत्पादन के साथ चलती थी, वो फरवरी आते-आते बंद होने लगीं। अब उत्पादन पूरी तरह से बंद है.
पोलर कंबल एसोसिएशन के प्रधान जगदीप जैन बताते हैं कि बाहर का व्यापारी डरा हुआ था। वो पानीपत तक आया ही नहीं। एसोसिएशन से जुड़े भीम राणा ने बताया कि इसी साल यूनिट शुरू की थी। उम्मीद थी कि फायदा होगा, लेकिन आंदोलन ने सब चौपट कर दिया