नई दिल्ली: उत्तराखंड में एक बार नहीं कई बार प्रलय आया है। यह सभी प्रलय प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा ही है। उत्तराखंड का अभी तक का जो सबसे बड़ा प्रलय आया था वो था 2013 का केदारनाथ मंदिर वाला प्रलय। नंदादेवी ग्लेशियर रविवार की सुबह सुर्खियों में रहा।
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उत्तराखंड में प्रलय 150 से अधिक लोगों है लापता
दरअसल ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने से उत्तराखंड (Uttarakhand) में अप्रत्याशित बाढ़ (Flash Flood) आ जाने से जोशीमठ के इलाकों में जान-माल का काफी नुकसान हुआ है। बाढ़ के चलते 150 से अधिक लोगों के गायब होने और दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत होने की खबर है।
काम कर रहे मजदूर भी हुए हैं हताहत
इसके साथ ही धौलीगंगा नदी के किनारे बसे रैणी गांव के कई सारे मकान इस बाढ़ में बह गए हैं। साथ ही तपोवन-रैणी में पावर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मजदूरों के हताहत होने की आशंका है। पावर प्रोजेक्ट (Power Project) इस बाढ़ में पूरी तरह बह गया है। वहीं उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है। खबरों के मुताबिक बाढ़ के पानी के रास्ते में आने वाले मकान बह गए हैं।

कई जिलों में हाई अलर्ट घोषित
निचले इलाकों में भी मानव बस्तियों के तबाह होने की आशंका है। एहतियातन, कई सारे गांवों को खाली करा लिया गया है। साथ ही लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा जा रहा है। आईटीबीपी (ITBP) प्रवक्ता ने कहा कि रैणी गांव के पास एक पुल के ध्वस्त हो जाने की वजह से बॉर्डर पोस्ट से कनेक्टिविटी टूट गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल को राहत और बचाव कार्य के लिए घटनास्थल पर भेजा गया है। हालांकि टिहरी, रूद्रप्रयाग, देहरादून, हरिद्वार और श्रीनगर सहित कई जिलों में हाई अलर्ट घोषित किया गया है और राहत और बचाव कार्य जारी है।
नंदादेवी ग्लेशियर क्या है?
नंदादेवी ग्लेशियर भारत का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है। इसे भारत स्थित सबसे ऊंचा पर्वत भी कहते हैं। क्योंकि कंचनजंगा नेपाल के साथ लगी सीमा पर स्थित है। दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों में नंदादेवी ग्लेशियर का स्थान दूसरा है। नंदादेवी ग्लेशियर के ऊपर दक्षिण क्षेत्र को दक्किनी नंदादेवी ग्लेशियर और उत्तर क्षेत्र को उत्तरी नंदादेवी ग्लेशियर कहा जाता है। ये पूरी तरह बर्फ से ढंका है। इसी के एक हिस्से के टूटने के चलते रविवार को जोशीमठ के करीब के इलाकों में बाढ़ आ गई। दरअसल ग्लेशियर ठोस रूप में बर्फीला पानी होता है, जो पहाड़ की तरह जमा होता है। इसके टूटने से पानी का प्रवाह शुरू हो जाता है और बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है। ग्लेशियर को हिमनद भी कहते हैं।
ग्लेशियर टूटता कैसे हैं?
ग्लेशियर कई कारणों से टूट सकता है। जैसे प्राकृतिक क्षरण, पानी का दबाव बनना, बर्फीला तूफान या चट्टान खिसकने से भी। इसके साथ ही बर्फीली सतह के नीचे भूकंप आने पर भी ग्लेशियर टूट सकता है। बर्फीले इलाकों में पानी के विस्थापन से भी ग्लेशियर टूट सकते हैं।