नई दिल्ली : उत्तरप्रदेश विधायकों की संख्या के हिसाब से भाजपा के दस प्रत्याशियों की जीत तय है। विधान परिषद चुनाव में सर्वाधिक लाभ भाजपा को होगा। इसी कारण वह 12 में से दस सीट पर निश्चित जीत के साथ ही 11वीं सीट पर दांव आजमाने की योजना में लगी है। उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीटोंं का बुधवार को निर्वाचन कार्यक्रम जारी होते ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ ही समाजवादी पार्टी में भी अब संभावित उम्मीदवारों की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं।

उत्तरप्रदेश भाजपा खेल सकती है दांव-
विधायकों की संख्या व मतदान प्रक्रिया के आधार पर उच्च सदन में भारतीय जनता पार्टी 10 और समाजवादी पार्टी एक सीट जीत सकती है। ऐसे में बचे विधायकों को लेकर भाजपा सहयोगी दल की मदद से 11वें प्रत्यशी पर दांव खेल सकती है। अब सबकी निगाहें 12वें नाम पर है। इसके साथ ही जोड़तोड़ की राजनीति के बूते समाजवादी पार्टी अपना दूसरा उम्मीदवार जिता सकती है। माना जा रहा है कि भाजपा इनको मौका देने के मूड में नहीं है। अगर भाजपा ने 11वां कैंडिडेट उतारा या फिर बसपा का उम्मीदवार मैदान में आया तो 12वीं सीट की लड़ाई दिलचस्प हो सकती है।
11वें उम्मीदवार को जिताने के लिए नहीं बचेंगे वोट-
विधान परिषद में 12 में से दस को जिताने के बाद भारतीय जनता पार्टी के पास 11वें उम्मीदवार को जिताने भर के वोट नहीं बचेंगे वहीं, समाजवादी पार्टी भी बिना जोड़तोड़ दूसरा कैंडिडेट नहीं जिता पाएगी। भाजपा व सपा दोनों की कोशिश अपने समर्थन से कैंडिडेट जिताने की होगी।
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भाजपा और सपा की इतनी सीट हो सकती हैं खाली-
समाजवादी पार्टी पांच के बदले सिर्फ एक सीट निश्चित जीत सकती है। विधान परिषद की जो 12 सीटें खाली हो रही हैं, उनमें पांच समाजवादी पार्टी की, चार भारतीय जनता पार्टी और दो बहुजन समाज पार्टी की हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी की भी सीट रिक्त है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा से उच्च सदन गये थे, लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बाद दल-बदल कानून के तहत उनकी विधान परिषद सदस्यता निरस्त कर दी गई थी। भारतीय जनता पार्टी की चार सीटें खाली हो रही हैं। उसकी 12 में से 10 सीटों पर जीत पक्की है। बसपा के हाथ से तीन सीटें जा रही हैं, लेकिन वह एक भी जीतने की स्थिति में नहीं है।