नई दिल्लीः हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, यह दिन महिलाओं के प्रति सम्मान और प्यार प्रकट करने का है और इस दिन का महत्व महिलाओं को आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर पहचान दिलाना और महिलाओं की उपलब्धियों को मनाना है. भारत में महिलाएं अपने हक की लड़ाईयां तो सदियों से लड़ती आ रही हैं। इस खास मौके पर आपको भारत की सबसे पावरफुल महिलाओं के बारे में बताते हैं, जिन्होंने इतिहास पूरी तरह बदल दिया।

मदर टेरेसा-
मदर टेरेसा ने कोलकाता में रहकर एक आश्रम में बेसहारा लोगों की मदद की, उनकी चिकित्सा की। एक बार जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा था कि आपकी भारत को लेकर क्या राय है? इस पर मदर टेरेसा ने कहा कि मैं सभी धर्म के लोगों से प्रेम करती हूं। मदर टेरेसा को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार भी प्रदान किया गया। उन्होंने बिना किसी इच्छा भाव के हमेशा लोगों की सेवा की और उनके दुखों को हमेशा ही अपना माना।
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रानी लक्ष्मीबाई-
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1935 को वाराणसी में हुआ था। उनका वास्ताविक नाम मणिकार्णिका था। उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध ऐसा संग्राम छेढ़ा था कि अंग्रेज भी उनकी वीरता देखकर हैरान रह गए थे। उन्होंने आखिरी दम तक अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी जंग जारी रखी। देश को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए उन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया। अंग्रेजों से लोहा लेते हुए महज 23 साल की उम्र में ही लक्ष्मीबाई ने अपने प्राणों की आहुति दे दी और आज भी उनके इस बलिदान को देश याद करता है।

इंदिरा गांधी-
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को एक प्रतिष्टित परिवार में हुआ था और वे बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं। वहीं, बचपन में इंदिरा गांधी ने ‘बाल चरखा संघ’ की स्थापना की और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए 1930 में बच्चों के सहयोग से ‘वानर सेना’ का निर्माण किया। सितम्बर 1942 में उन्हें जेल में डाल दिया गया। 1947 में उन्होंने महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किया। वे अगस्त 1964 से लेकर फरवरी 1967 तक राज्य सभा और फिर चौथे, पांचवें और छठे सत्र में लोकसभा की सदस्य रही थीं।
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कल्पना चावला-
घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर कल्पना ने चांद तक सफर तय किया था। कल्पाना चावला अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाली दूसरी भारतीय महिला थीं। महज 35 साल की उम्र में उन्होंने पृथ्वी की 252 परीक्रमाएं लगाकर देश ही नहीं बल्कि दुनिया को भी हैरान कर दिया था। उन्होंने छह अंतरिक्ष यात्रियों साथ स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। अपने पहले मिशन के दौरान कल्पना ने 1.04 करोड़ मील सफर तय करते हुए करीब 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताए थे। वहीं, जब 1 फरवरी 2003 को वो धरती पर लौट रही थी, तभी खबर आई कि इस यान का संपर्क टूट गया है। इसके बाद कल्पना चावला की मौत की खबर आई।